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अफसर शाही / कैलाश झा ‘किंकर’
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					अफसर शाही चलबोॅ  नै,
ई घोॅर छिकै परिवार छिकै ।
पत्नी पर नै धौंस जमाबोॅ, 
कुत्सित ई व्यवहार छिकै ।।
ऑफिस के सब लोग खफा छौं
इहे अफसर शाही सेॅ, 
तंग करै छो कैहने तों
अंग्रेजिया नौकर-शाही सेॅ  ।
प्रेम-भाव सेॅ  काम करो,
ई अप्पन राज्य बिहार छिकै ।
अदब करै छौं डर के मारे
दहशत मेॅ  ऑफिस थर-थर,
आब किरानी चपरासी सब
बनलोॅ  छौं गेहुँअन-अधसर ।
घुसखोरी केॅ  राह छोडि देॅ, 
दौलत ई बेकार छिकै ।
तुम-ताम नै करहो केकरो
आदर केॅ  सब छै भूखा,
अप्पन बात मनाबै खातिर
नै व्यवहार करोॅ  रूखा ।
शोषण केॅ  समटोॅ  दुकान अब,
अन्तिम ई उपचार छिकै ।
	
	