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अब / तादेयुश रोज़ेविच
Kavita Kosh से
एक समय था
कि प्रतीक्षा करता
कब मुझ पर कविता का हमला हो
एक अस्थिर बिम्ब के पीछे
भागते-भागते हाँफ जाता
और अब मैं
कविताओं को अपने बिल्कुल पास से
निकल जाने देता
वे मुरझा कर मर कर
बेजान हो जातीं
और मैं उधर ध्यान भी नहीं देता
कुछ नहीं करता