भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अब खोजनी है आमरण / भारत भूषण

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अब खोजनी है आमरण
कोई शरण कोई शरण

गोधुली मंडित सूर्य हूँ
खंडित हुआ वैदूर्य हूँ
मेरा करेंगे अनुसरण
किसके चरण किसके चरण

अभिजात अक्षर- वंश में
निर्जन हुए उर- ध्वंस में
कितने सहेजूँ संस्मरण
कितना स्मरण कितना स्मरण

निर्वर्ण खंडहर पृष्ठ हैं
अंतरकथाएं नष्ट हैं
व्यक्तित्व का ये संस्करण
बस आवरण बस आवरण

रतियोजना से गत प्रहर
हैं व्यंग्य- रत सुधि में बिखर
अस्पृश्य सा अंत:करण
किसका वरण किसका वरण