अब नाहीं / गोरख पाण्डेय
गुलमिया अब हम नाही बजइबो, अजदिया हमरा के भावेले ।
गुलमिया अब हम नाही बजइबो, अजदिया हमरा के भावेले ।
झीनी-झीनी बीनीं, चदरिया लहरेले तोहरे कान्हे
जब हम तन के परदा माँगी आवे सिपहिया बान्हे
सिपहिया से अब नाही बन्हइबो, चदरिया हमरा के भावेले ।
गुलमिया अब हम नाही बजइबो, अजदिया हमरा के भावेले ।
कंकड चुनि-चुनि महल बनवलीं हम भइलीं परदेसी
तोहरे कनुनिया मारल गइलीं कहवों भइल न पेसी
कनुनिया अइसन हम नाहीं मनबो, महलिया हमरा के भावेले ।
गुलमिया अब हम नाही बजइबो, अजदिया हमरा के भावेले ।
दिनवा खदनिया से सोना निकललीं रतिया लगवलीं अँगूठा
सगरो जिनगिया करजे में डूबलि कइल हिसबवा झूठा
जिनगिया अब हम नाहीं डुबइबो, अछरिया हमरा के भावेले ।
गुलमिया अब हम नाही बजइबो, अजदिया हमरा के भावेले ।
हमरे जंगरवा के धरती फुलाले फुलवा में खुसबू भरेले
हमके बनुकिया के कइल बेदखली तोहरे मलिकई चलेले
धरतिया अब हम नाहीं गंवइबो, बनुकिया हमरा के भावेले ।
गुलमिया अब हम नाही बजइबो, अजदिया हमरा के भावेले ।