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अब नैं सहबोॅ / कस्तूरी झा ‘कोकिल’
Kavita Kosh से
बहुत सहलियॅ अबनैं सहबोॅ
पियबा तोहर मार।
बैनकेॅ अयलियॅ घोरॅ केॅ लछमी,
तैइयो ई व्यवहार?
पुरुष भेलौं तॅ शान नैं करियौ,
सुनियौ खोलिकेॅ काना।
गाली-गुप्ता अब नैं बकियौ
करियौ हमरोॅ मान।
अहाँ बिकलछी सवा लाख में,
तैपर दान दहेज।
अबकी बाबू देह बिकैथिन?
या बेचथिन दहलेज?
घरनी केॅ मुरगी नहिं बुझियौ,
दियो उचित स्थान।
नैं तॅ घौरॅ में उठत बबन्डर,
पगड़ी खसत धड़ाम।
काम-धाम कुछ करता नहियें
तैपर ऐत्ते शान।
पत्नी केॅ मरयादा करियौ
बनियौ नहीं गुलाम।
नैं तॅ हमहीं जैबॅ कचहरी
भेजबाय देबोॅ जेल।
तब देखबॅ केॅ मदद करैछॅ?
केॅ जीतै छै खेल?
-06.11.1992