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अभिशाप / अग्निशेखर
Kavita Kosh से
हमें मार नहीं सका पूरी तरह
कोई भी शस्त्र उनका
न जला ही सकी
हमें कोई आग
कोई भी सैलाब
डुबो नहीं सका हमें पूरी तरह
हमें उड़ा नहीं सकी हवा
सूखे पत्तों की तरह
हम मर गए
छटपटाती आत्मा की
अमरता के अभिशाप से यहाँ