भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अमर रहे गणतन्त्र हमारा / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
Kavita Kosh से
जन -जन की आँखों का तारा
अमर रहे गणतन्त्र हमारा।
हम सबका अभियान एक हो
सभी का संविधान एक हो ।
छिपे देश में अनगिन विषधर
रोज पलटते हमको डँसकर।
हम इनका अब उपचार करें
सब मिलकरके संहार करें ।
बैठ गए यदि इनसे डरकर
हो जाएगा भारत जर्जर
छद्म वेष धरकर हैं आए
बहुत कुटिल, फिर भी मुसकाए ।
न्याय-तुला को तोड़ रहे हैं
लूट-लूट धन जोड़ रहे हैं ।
इनसे मुक्ति एक ही नारा
अमर रहे गणतन्त्र हमारा।
-0-26-01-2023