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अयुगल / सुमित्रानंदन पंत
Kavita Kosh से
ओ शाश्वत दंपति,
तुम्हारा असीम,
अक्षय
परस्पर का प्यार ही
मेरा
आनंद
मंगल
और
चेतना का आलोक है !