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अलदेआनिता / कार्लोस ओकेन्दो दे आमात / अनिल जनविजय

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रेशम की तरह हो तुम,
ओ ग्रामीण-बालिके
अलदेआनिता !
 
मैं भी गूँथ दूँगा अपना दिल
तुम्हारी चोटियों में रंग-बिरंगे फ़ीते की तरह,

क्योंकि गत्ते की बनी इस सुबह में
भावनाओं का जोख़िम उठाया जा सकता है ।

तुमने अपने शरीर से उसे एक गिलास पानी पिलाया
और तुम्हारे मन में दो नई आँखें उग आईं ।

मूल स्पानी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए, अब यही कविता मूल स्पानी में पढ़िए
        Carlos Oquendo de Amat
                     ALDEANITA

Aldeanita de seda

ataré mi corazón
como una cinta a tus trenzas

Por que en una mañanita de cartón
(a este bueno aventurero de emociones)

Le diste el vaso de agua de tu cuerpo
y los dos reales de tus ojos nuevos