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अलोपित आलोक / भास्करानन्द झा भास्कर
Kavita Kosh से
तुच्छ लोलुपता
हीन भावनाग्रस्त
कुण्ठित मानसिकता
अवरुद्ध प्रगति पथ
स्वदेशक व्यथा
अकुलाइत मोन!
सजग सचेष्ट
विद्रोहक स्वर
भ' रहल अनुगंजित
चहुंदिस मुखरित!
मिथिला लोक
प्रभापुंज आलोकित
ध्येय पाथेय
सर्वांगिन विकास
स्तुत्य काम्य
उद्देश्य विधेय!