भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अवनी घर हो क्या / शक्ति चट्टोपाध्याय / लाल्टू

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अवनी घर हो क्या ?
सोया है मुहल्ला किवाड़ हैं बन्द
सुनता हूँ, बस, रात की दस्तक के छन्द
अवनी घर हो क्या ?

यहाँ बारिश होती है बारह मास
बदली गाय सी चरती मण्डराती है
कहीं और देखती ऊँची हरी घास
दरवाज़े पर टकराती है
अवनी घर हो क्या ?

अपने में घूम रहा दूर अध-खोया
पीर में ही जाने कब सोया
अचानक सुनता हूँ रात की दस्तक के छन्द
अवनी घर हो क्या ?

हिन्दी में अनुवाद : लाल्टू