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अव्यक्त / अनुराधा सिंह

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कह रहे थे
तुम अपने प्रेम की गाथा
पूरे उद्वेग, पीड़ा और सुख के साथ

सुन रही थी मैं
एक साध कसी
उदार
तल्लीन

निचले होंठ में दाबे
अपना पूरा प्रेम,
सुख, पीड़ा
और एक सिसकी।