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अश्वताल / सुभाष काक
Kavita Kosh से
क्योंकि वह रक्षा न कर सका
युद्ध में पराजय हुआ
प्रेमिका के हृदय में
वह अब अपमान पात्र है।
जो पुरानी स्मृतियाँ थीं उनकी
पेड़ के नीचे बातें
उद्यान में टहलना
पर्वत के छोटे पथ पर
घोडों पर भ्रमण
अब वह झूठ हैं।
वह झूठ था।
प्रेमी को
धिक्कार रही है वह।
क्या चाहती है,
एक और युद्ध?