भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अषाढ़ रोॅ बदरी / राजकुमार

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कैहिनोॅ उमड़ै अषाढ़ रोॅ बदरी
खीर-पूड़ी लेल्हें अदरा अँजुरी
खेत पानी सें गंजैलोॅ-पुरलोॅ
कहीं फुजलोॅ कहीं गजुरी-गजुरी

छै घटा सें धरा-गगन घिरलोॅ
झोॅर पुरबा रोॅ चुआबै अगरी

भिजलोॅ-तितलोॅ अकाश मन पाखी
पंख ओढ़ी लहर-लहर लहरी

छै लहर दर लहर ठनक ठनका
मुँह पानी में निहारै बिजुरी

कहीं रौदा कहीं बुन्दा-बान्दी
कहीं बारिस सें छै विकल डगरी

भेलोॅ जोगिन फुरै छै भगजोगनी
‘राज’ पिपरी भी सजाबै गगरी