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असिधारा पथ / बालकृष्ण शर्मा 'नवीन'

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ओ असिधारा-पथ के गामी!
विकट सुभट तुम, अथक पथिक तुम कंटक-कीर्णित मग-अनुगामी
ओ असिधारा-पथ के गामी!

तुम विकराल मृत्यु आसन के साधक, तुम नवजीवन-दानी
तुम विप्लव के परम प्रवर्तक, चरम शांति के निष्ठुर स्वामी!
ओ असिधारा-पथ के गामी!

शत-शत शताब्दियों के पातक पुंज हो रहे पानी-पानी,
अंजलि भर-भर जीवन शोणित देने वाले ओ निष्कामी!
तुम असिधारा-पथ के गामी!

हे प्रचंड उद्दंड, अखंड महाव्रत के पालक विज्ञानी,
तड़प उठा है सब जग ज़रा ठहर जाओ, हे मौन अनामी!
तुम असिधारा-पथ के गामी!