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अेक सौ आठ / प्रमोद कुमार शर्मा

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दियाळी रा दिया चसै
म्हारी सुरता री मुंडेरां पर
जाणै हंस उडारी लेवै
संतां रै डेरां पर

ऽऽऽ दिया अे च्यानणो
तेरी डांडी घड़ाई अजमेर
दिया अे च्यानणोऽऽऽ*

म्हैं जोवूं भाखा रो आंगणो
मांडू सबद अंधेरां पर।