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अेक सौ उणचाळीस / प्रमोद कुमार शर्मा
Kavita Kosh से
ना-ना करी
जद सांकळ सबद री
थारा पग धोळै दोपारै बांधसी
रांधसी जद करमां रै कड़ावै मांय
कमी ना राखी भलांई चढावै मांय
पण :
भाखा रा देवता राजी नीं हुवैला
उण बगत थारो सत ई थांनै तारसी
बठै पंडत-काजी नीं हुवैला।