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अेक सौ चौबीस / प्रमोद कुमार शर्मा

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बै निज भाखा मांय
-सावचेत हा
जका उडारी भरग्या सातवैं अकास तांई
बांरी जातरा ही अंधारै सूं परकास तांई

बांरी ढाळ
तोड़ो काळ
मौत पूगगी है मांयलै अेसास तांई
जाग्या कोनी आपां रोळै मांय
इयां के :
-आपां अचेत हा।