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अेक सौ तेरह / प्रमोद कुमार शर्मा

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ब्रह्मलीन हूग्यो
-तल्लीन हूग्यो
तद घट मांय राम साथै
करतो रैयो भाखा रा काम साथै

भाखा नैं राम री लोड़ है
सीता री पछै ओर के मरोड़ है

राम रो सत ई तो रावण नैं बरजै हो
नींतर पापी काळ के कम गरजै हो

सीता राम-राम जपै ही
-तपै ही
सदियां सारू धरती नैं देवण धीजो
पछै ब्रह्मांड कीकर
-मल्लीन हूग्यो।