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अेक सौ दस / प्रमोद कुमार शर्मा
Kavita Kosh से
होळी रा रंग है
-ढंग है
मानखै रा सै सूं पुराणा
जका जूण री आडी अरथावै है
पगड़ी, चोळी, चंग, मंजीरा
मन ई मन मुळकावै है
रंगां रो सत्संग
रास रसीलो रचावै है
मरुवाणी रा रंग बेअंत है
मायड़ भाखा साची संत है
जीते जग री
-जंग है।
होळी रा रंग है।