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अेक सौ पचास / प्रमोद कुमार शर्मा

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म्हारो ओ निवेद
-है भाखा मांय
आप सूं, जे समझो तो स्याणा हो
नीं तो कित्ताई मोटा हुवो, न्याणा हो

देखो
-चीड़ी
अर कैवो
-कीड़ी
अैड़ी हालत भाखा रै आंगणै ढुक री है
ऊपर सूं संवेदना पताळां लुक री है
फेर भी अरथावणो है
साच तो मुलावणो है
भलांई आप मानो मत इणनैं भाखा
-है पण लाखां मांय
इणरै माथै रो स्वेद
म्हारो ओ निवेद।