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अेक सौ बारह / प्रमोद कुमार शर्मा
Kavita Kosh से
कड़ टूटज्यै सबद री
जद बो कूड़ कपट करै
क्यूंकै
फगत साच ही
रूप आपरो परगट करै
पण :
कूड़ रो तो अवस्थान ई कोनी
फेर भी घणकरा लोगां नैं
इण बात रो ग्यान ई कोनी
पण कमाल है :
सदियां पछै भी
बै खुद पर हैरान ई कोनी।