भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अेक सौ बीस / प्रमोद कुमार शर्मा
Kavita Kosh से
ओंकार बाजै घट मांय
-नट मांय
जे हुवै फुरती दो ज्यान री
कळा आपैई परगट हुवै बीं महान री
पण :
सबद आंधा हूग्या
अरथियां रा कांधा हूग्या
ऊभा हां जींवता
-जाणै मरघट मांय
ओंकार बाजै घट मांय।