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आँखीं में सजलोॅ / राजकुमार

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आँखीं में सजलोॅ सपनमाँ, हे भौजी निंदियो नै आबै
असरा में भिंजलोॅ नयनमाँ, हे भौजी निंदियो नै आबै

तोरोॅ ननदोइया पिरितियो नै जान्हौं
कुमुद-पपिहरी रॉे बतियो नै मान्हौं

स्वाती बिनु चातक परनमाँ, हे भौजी निंदियो नै आबै
आँखी में सजलोॅ सपनमाँ, हे भौजी निंदियो नै आबै

लहसि सिमरबा के फुलबा निहाबै
हमरोॅ लहरलोॅ उमरिया सिहाबै

टिटरी रं टंगलोॅ जीवनमाँ, हे भौजी निंदियो नै आबै
आँखी में सजलोॅ सपनमाँ, हे भौजी निंदियो नै आबै

हरियैलोॅ धरती रोॅ हरियैलोॅ, मनमाँ
रही-रही सिहरै छै कोंपल-तपनमाँ

धरती रोॅ गहना गगनमाँ, हे भौजी निंदियो नै आबै
आँखी में सजलोॅ सपनमाँ, हे भौजी निंदियो नै आबै

अरबा पिरितिया दुअरिया निहारै
नदिया रोॅ पनिया लहरिया निहारै

उचरै छै कागा ऐंगनमाँ, हे भौजी निंदियो नै आबै
आँखी में सजलोॅ सपनमाँ, हे भौजी निंदियो नै आबै