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आइने की सतह / जय छांछा
Kavita Kosh से
आइने की फिसलन जैसी सतह
बेदाग तुम्हारे चेहरे रूपी पन्ने पर
प्रेम के बहुमूल्य सूत्र लिखने का मन करता है ।
गुलाबी, सुंदर और आकर्षक
तुम्हारे प्यारे अनुहार रूपी बगीचे को
पलक झपके बिना देखते रहने का मन करता है ।
बिना झूठ बोले, गर कहूँ तो मेरी प्रिये
रजिस्ट्ररी करा कर तुम्हारा चेहरा
अपने दिल के अंदर फ्रेम में सजाकर
हमेशा-हमेशा के लिये रखने का मन करता है ।
मूल नेपाली से अनुवाद : अर्जुन निराला