क्यों मन प्राण
तुम्हारा उदास है ?
देखो तो पूरा जंगल
जो बचा है महामहा रहा है
फूलों से
लोग भी उत्साहित हैं
घर
क्यों तुम्हारा मन-प्राण
उदास है ?
फागुन / बसन्त आ गया
आओ मेरे साथ
साथ-साथ स्वागत करें
कृतज्ञ हों और नाचे
दुखी और उदास होने से कुछ नहीं होगा ।
दुख को ताक़त बनाकर
जीने का नया रास्ता खोजो
पुरखों का दिया ज्ञान
दिखाएगा तुम्हें मुझे रास्ता
आशीषित करेंगे हमें
होगी बारिश ज़ोरों की
भर जाएँगे नदी, नाले और बाँध
बुझेगी धरती की प्यास
और जीवन सारा
हरिया जाएगा
बारिश होगी
बीज अँकुरेगा, बढ़ेगा, युवा होगा
फूलेगा, फलेगा, पकेगा
ज़मीन पर गिरेगा
और बारिश होगी
तब फिर अँकुरेगा
यही तो जीवन का मर्म है
इसलिए मत उदास हो
आओ काम को
खत्म कर लें ।
मत उदास हो ।