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आओ देखो / अपर्णा भटनागर
Kavita Kosh से
आओ देखो तो
आज जो तारीख काटी है
एक बहुत पुरानी होली की है
तुम्हारे हाथ भरे हैं
गुलाबी अबीर से
मुझे गुलाबी पसंद है
तुम्हें नीला
शायद ये कलेंडर मैं फाड़ना भूल गई थी
काफी कुछ बचा रहा इस तरह तुम्हारे -मेरे बीच
एक बार फिर चाहूँ
इस बचे को उलटो-पलटो तुम