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आओ हम बादल बन जाएं / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
Kavita Kosh से
आओ हम बादल बन जाएँ
गरमी बहू, ताप रही धरती
हम इससे ऊपर उठ जाएँ
आसमान में सैर करें फिर
तरह-तरह के रूप बनायें।
उमड़ चले हम धीरे-धीरे
कजरारे बनकर छा जाएँ।
चलो साथियों गरज गरजकर।
बिजली भी चमचम चमकायें।
पहले बूँदें बरसायेंगे
फिर तो मूसलाधार बहाये।
बरस-बरस कर थक जाएँ तो
झट पुरवइया हवा चलायें।
उतर आयेंगे धरती पर तब
सावन के हम गीत सुनायें।