भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आकड़ा / मधु आचार्य 'आशावादी'
Kavita Kosh से
कांई फरक है
नेता अर आकडै़ मांय
ऊगै तो खाय जावै
आपरै इज आसै-पासै री
नूंवी-नूंवी हरियाळी
खावण मांय
खावण मांय
दोनूं ई खारा
लड़ण री.चबावण री
करां खेचळ
तो
बण जावै जैर
भाईड़ा
आं सूं ना दोस्ती आछी
अर ना दुस्मणी
कोरा आक है आक
खाली करणो जाणै राख !