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आखर-आखर प्रीत लिखू / रूपम झा
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आखर-आखर प्रीत लिखू
जन जीवन केर गीत लिखू
सुन्दर चल लगाबी उपवन
धार बनाबी कंचन-कंचन
करू ज्ञान विज्ञानक चिन्ता
पोर-पोर पर जीत लिखू
जन जीवन केर गीत लिखू
समय आगि उगलै अछि प्रतिपल
मोन भए रहल बेकल-बेकल
सिर्घ मेटाउ ताप बाट सँ
डेग-डेग पर शीत लिखू
जन जीवन केर गीत लिखू
जाति-धरम के भेद मेटाउ
नहि जिनगीक कठिन बनाउ
सबहक जति एक मानव अछि
सभकेर आपन मीत लिखू
जन जीवन केर गीत लिखू