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आखरी प्रारथना / कस्तूरी झा 'कोकिल'
Kavita Kosh से
अपना शरणोॅ मेॅ लगाय लेॅ भगवान!
आबेॅ ऐ दुनियाँ में कथी लेल जीना?
देखै लेॅ अनरथ रॅ तानडब नाँच?
आरोॅ घोटें-घोटें लोरे पीना।
जब ताँय बचौॅ आपन्है रॅ नाम लौं,
मोॅनों में आरो हिरदय में भगती जगाय देॅ।
परोपकारहै में हमरोॅ जीनगी लगाय देॅ
ज्ञान दान करै में ही शक्ति लगवाय देॅ।
अपना शरणोॅ मेॅ लगाय लेॅ भगवान!
अपना शरणोॅ मेॅ लगाय लेॅ भगवान!
अपने केॅ चरण रॅ दास।
04/12/2015 छः बजे भोर