भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आग का अक्षर / शैलप्रिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

अकसर हम धूप में
चढ़ा लेते हैं रंगीन चश्मे
और धरती रेत हो जाती है
पिघलते सूरज का उमगना
नहीं देख पाते
सच और झूठ के बीच झूलते
धूपछांही परदे
पुरानी इमारत के झाड़-फानूस की तरह
बदरंग लगते हैं
और इधर हमारी जंग शुरू हो जाती है
जब कोई औरत
संवेदना के टूटे-तार जोड़ती
अपनी पेबन्द-सी
जिन्दगी की किताब
पलट देती है
तब मैं दुख के पन्नों पर अंकित
अक्षरों में शामिल
एक अक्षर बन जाती हूं
आग का अक्षर!