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आगमन / पॉल एल्युआर / अनिल जनविजय

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वो नन्हीं बच्ची पहली बार पेरिस आई है
उत्साह है बहुत मन में बारिश सी बिछल रही है

चौराहे पर बिछा है पत्थर की ईंटों का खड़ंजा
खट-खट की आवाज़ करके बच्ची चल रही है

गुज़र रहे हैं पास से उसके चिकने-चुपड़े चेहरे
पर गोल-गोल घूमे बच्ची और मस्ती में ले फेरे
उसके दिल की धड़कन से पेरिस की हवा मचल रही है                        

१९१५
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय