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आगे का रास्ता / सुशीला बलदेव मल्हू
Kavita Kosh से
जब दिल घसीट कर
पीछे को ले चला
आँखों ने कहा,‘आगे बढ़!
और ढूँढ़ मंजिल नई
पीछे नहीं है कुछ,
केवल खैंडहर तिरि-बितर
आगे मिलेगी तुझको
नई दिशा, नई डगर।
दिखा रही हैं आँखें,
आगे का रास्ता
कदम चल रहे हैं
आगे का रास्ता
बुद्धि बता रही है
आगे का रास्ता
फिर मुड़ कर क्यों देखें,
पीछे का रास्ता।