आज की दुनियां में नैमत है ये ज़ज्बा प्यार का / गिरधारी सिंह गहलोत
आज की दुनियाँ में नैमत है ये ज़ज्बा प्यार का।
ये जहाँ मौजूद हो तो काम क्या तलवार का।
हारना सीखा नहीं है ज़िंदगी हो इश्क़ हो
आजतक देखा नहीं हैं मुँह किसी भी हार का।
तीरगी अब रोशनी को रोक सकती हैं नहीं
रात ढलते ही सहर होगी चलन संसार का।
हौसलों से बात बनती है कभी खोना नहीं
पार होगा जानता है जो हुनर पतवार का।
अब जरूरी हो गया है मुल्क में पहचानना
हाथ में किसके अलम है नफरतों के वार का।
धार लगनी चाहिए इल्म-ओ-हुनर को बारहा
जंग खाकर जो पड़ा औजार है बेकार का।
चाहते ख़ुशियाँ घरों में रास्ता बस एक है
छोड़िये दामन हमेशा ज़िद वहम तकरार का।
दूर कर दी औरतों की मुश्किलें दावे बहुत
आज भी होती तिजारत क्या किया बाज़ार का।
एक होकर ही हमेशा जंग कर सकते 'तुरंत'
मिल न पाए ग़र जहाँ में हक़ किसी हक़दार का।