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आज की रात हमको कहने दो / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
आज की रात हमको कहने दो
दिल के जज़्बात हमको कहने दो
रुक गयी जो जुबान तक आकर
अब वही बात हमको कहने दो
तोड़कर ख़्वाब किया आँखों को
अश्क़ ख़ैरात हमको कहने दो
तुम अचानक हुए पराये क्यों
वे वजूहात हमको कहने दो
हो गयी जो बिना सोचे समझे
वो मुलाक़ात हमको कहने दो
ग़मे फुरकत का मर्ज़ है हावी
सब असारात हमको कहने दो
जो गुजरती है अब तुम्हारे बिन
अपने हालात हमको कहने दो