आज चिट्ठी नहीं लाया कोई / आन्ना अख़्मातवा
आज मेरे लिए कोई चिट्ठी नहीं लाया :
भूल गया है वह लिखना या चल दिया होगा कहीं,
बहार है जैसे रुपहली हंसी की गूँज,
खाड़ी में हिल-डुल रहे हैं जहाज़।
आज मेरे लिए कोई चिट्ठी नहीं लाया।
अभी कुछ दिन पहले तक वह मेरे साथ था
इतना स्नेहिल, इतना प्रेमासक्त और इतना मेरा,
पर यह बात तो बर्फ़ीले शिशिर की है।
अब बहार है, बहार की ज़हरीली उदासी है
अभी कुछ दिन पहले तक वह मेरे साथ था...
सुनाई देती है मुझे : हल थरथराती कमानी
छटपटा रही है जैसे मौत से पहले की पीड़ा में,
डर लग रहा है मुझे कि फट जाएगा हृदय
और पूरा नहीं कर पाऊँगी ये सुकुमार पंक्तियाँ...
मूल रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह
लीजिए, अब इस कविता को मूल रूसी भाषा में पढ़िए
Анна Ахматова
Сегодня мне письма не принесли…
Сегодня мне письма не принесли:
Забыл он написать или уехал;
Весна как трель серебряного смеха,
Качаются в заливе корабли.
Сегодня мне письма не принесли…
Он был со мной еще совсем недавно,
Такой влюбленный, ласковый и мой,
Но это было белою зимой,
Теперь весна, и грусть весны отравна,
Он был со мной еще совсем недавно…
Я слышу: легкий трепетный смычок,
Как от предсмертной боли, бьется, бьется,
И страшно мне, что сердце разорвется,
Не допишу я этих нежных строк…
1912 г.