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आज तांई / इरशाद अज़ीज़
Kavita Kosh से
थारी सौरम सूं
आज तांई ऊजळा है
ओळूं रा चितराम
अर थूं बिसरा दीनो
आपो-आपनैं
पण थूं नीं जाणै
कै थूं कांई है
म्हारै खातर।