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आज तुम से बिछड़ रहा हूँ / सुदर्शन फ़ाकिर
Kavita Kosh से
आज तुम से बिछड़ रहा हूँ
आज कहता हूँ फिर मिलूँगा तुम से
तुम मेरा इंतज़ार करती रहो
आज का ऐतबार करती रहो
लोग कहते हैं वक़्त चलता है
और इंसान भी बदलता है
काश रुक जाये वक़्त आज की रात
और बदले न कोई आज के बाद
वक़्त बदले ये दिल न बदलेगा
तुम से रिश्ता कभी न टूटेगा
तुम ही ख़ुश्बू हो मेरी साँसों की
तुम ही मंज़िल हो मेरे सपनों की
लोग बोते हैं प्यार के सपने
और सपने बिखर भी जाते हैं
एक एहसास ही तो है ये वफ़ा
और एहसास मर भी जाते हैं