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आज पत्र में लिखता हूँ मैं / कमलेश द्विवेदी
Kavita Kosh से
आज पत्र में लिखता हूँ मैं बस तुमको दो बातें।
कैसे मेरे दिन कटते हैं कैसे मेरी रातें।
सुबह आँख खुलते ही मुझको
याद तुम्हारी आये।
भूली-बिसरी कितनी यादें
वो अपने सँग लाये।
फिर पूरे दिन साथ रहें ये यादों की बारातें।
आज पत्र में लिखता हूँ मैं बस तुमको दो बातें।
इन यादों में डूबी-डूबी
आये रात सुहानी।
रोज़ सुनाये मुझको कोई
ख़ुशियों भरी कहानी।
रात हमेशा देकर जाये सपनों की सौगातें।
आज पत्र में लिखता हूँ मैं बस तुमको दो बातें।
इसी तरह से बीत रहे हैं
जीवन के दिन अपने।
काश, किसी दिन सच हो जायें
मेरे सारे सपने।
फिर जीवन में हर पल हों बस ख़ुशियों की बरसातें।
आज पत्र में लिखता हूँ मैं बस तुमको दो बातें।