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आज रो मिनख / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
हर आंख
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हर चैरो
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हर होठ
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हर कान
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हर हाथ
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हर साथ
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हर तन
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हर मन
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हर पग
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हर सुख
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हर दुख
+
मिनख बस
चिन्न ई चिन्न