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आजादी / राजकुमार
Kavita Kosh से
आजादी तेॅ मिललै,
मतर हमरोॅ आजादी,
आजाद कहाँ छै?
आजादी मिलबोॅ आरोॅ आजाद होबोॅ,
अहिनोॅ बुझाय छै,
जेनाकि कोय साँझ
भिनसरोॅ के ढूँढते होलोॅ,
रातकोॅ अन्हरिया में
फँसी जाय छै,
आरोॅ रात आपनोॅ बाँहीं में,
सौंसे सरंगोॅ केॅ समेटी केॅ,
कोय समुन्दर में,
धोंस मारै केॅ,
जोगानोॅ मंे जुटी जाय छै
मतर ओकरोॅ धोंस मारै के जोगान
जोगाने रही जाय छै,
आरोॅ उगी जाय छै,
कोय लया सूरज,
लोगोॅ के जगाबै लेली,
लोग जागतै,
आरोॅ रातोॅ के बाँहीं सें,
छिनी लेतै आपनोॅ आजादी के,
सौंसे आकाश
तबे सार्थक होतै,
आजादी के अर्थ,
आरोॅ लोगोॅ के आजादी,
आजाद होतै।