भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आजु चतुर्थीक शुभ अवसर थिक / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

आजु चतुर्थीक शुभ अवसर थिक
गौरी दाइ चमकै छथि कोना
चमकि - चमकि जे काज करै छथि
बाजै छनि गहना
गौरी दाइ चमकै छथि कोना
लाल नूआ जे पहिरन छनि
ताहि लागल फुदना
गौरी दाइ चमकै छथि कोना
कारा पहिरथि, छारा पहिरथि, ताहि लागल घुँघरू
छमकि-छमकि गौरी टहल करै छथि, झमकै छनि गहना
गौरी दाइ चमकै छथि कोना
प्राणनाथ पलंगे पर बैसल, मोहर देल मुँह बजना
तोड़ि-तोड़ि मोहर के फेकल, करय लागलि बहन्ना
गौरी दाइ चमकै छथि कोना
आजु सुमंगल दिन, गौरी दाइ चमकै छथि कोना