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आतिथ्य / अदनान कफ़ील दरवेश

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ईंट और गारे की बनी इबादतग़ाहें और
दूकानात फूँक कर
आपको खासी झुँझलाहट तो हुई होगी
इस शोरो-ग़ौग़ै में थक तो गए होंगे आप
आख़िरकार ठीक जगह आ ही गए
अपने दिल की ठण्डक का सामान करने के लिए
वैसे भी अब हमारे तहफ़्फ़ुज़ को कोई न आएगा
हुकूमत और पुलिस को आपकी फ़िक्र हो रही होगी

इसलिए क़रीब आएँ
दम ले लें
पहले पानी पिएँगे या लहू ?
वैसे इस दम ये सवाल भी कितना बेमानी है न !

छोड़ें !
ये रही शहरग
सो जल्दी-जल्दी यहाँ चीरा लगाएँ
और खूब तसल्ली से पिएँ
ये लाल-लाल लहू
जिसके आप प्यासे हैं ख़ूब
जो है बिल्कुल ख़ालिस, ताज़ा, ठण्डा और मोहमडन ।