भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आतिश-दान / सारा शगुफ़्ता

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आतिश-दानों से
अपने दहकते हुए सीने निकाल लो
वर्ना आख़िर दिन
आग और लकड़ी ओ अशरफ़-उल-मख़्लूक़
बना दिया जाएगा