भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आत्मा / पल्लवी मिश्रा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गीता में
श्रीकृष्ण ने कहा-
आत्मा अजर है
आत्मा अमर है
इसे शस्त्र भेद नहीं सकता,
अग्नि जला नहीं सकती,
पानी गला नहीं सकता,
वायु सुखा नहीं सकती,
परन्तु-
आज के सन्दर्भ में
इन बातों के
कोई तथ्य नहीं है
द्वापर युग की बातें
कलियुग में सत्य नहीं हैं
क्योंकि-
आज मनुष्य की आत्मा
हर क्षण,
हर पल,
बिक रही है,
मर रही है।
दौलत के हथियार
इसे नष्ट-भ्रष्ट कर रहे हैं
शरीर तो आज भी
मरता है एक ही बार
परन्तु
आत्मा मर रही है
सहस्र बार! हजार बार!!!