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आदत / विपिन कुमार शर्मा

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कभी भट्ठी में पिघलता लोहा भी
मनमानी पर उतर आता है
बन्दूक के बदले
हँसिया में ढल जाता है
मगर
खून पीने की आदत
बदल नहीं पाता है