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आदत नहीं रह गई / चंद्र रेखा ढडवाल
Kavita Kosh से
समतल रास्तों पर
सीधे नहीं पड़ते पाँव
रास्तों के ऊबड़-खाबड़ होते ही
उसका संतुलन बैठने लगता है
***
औरत ने यह कौशल अभ्यास से पाया है
यस क्या पता
उसके विरुद्ध की गईं प्रार्थनाओं
माँगी गईं मनौतियों
चटाए गए अफ़ीम
चुभोए गए नश्तर का
असर यह कि
उसे आदत नहीं रह गई
सुख की
गर्भ से ही