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आदमख़ोर / उषा राय

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उफनते दूध को सम्भालो
पशुओं का चारा-पानी जल्दी
छाती लगे बच्चों को उठाओ
आएगा, आता है आदमख़ोर ।

लार-सने दाँत चमकती आँखें
मारेगा झपट्टा शिकार पर
रक्त माँस का कतरा-कतरा
खाएगा, खाता है आदमख़ोर ।

मीठी बोली पर न जाना
अपने-पराए पर न जाना
वहीं कहीं तुम्हारे बीच बैठा
हँसेगा, हँसता है आदमख़ोर ।

हाशिए से उठ चलो, बढ़ चलो
शहर के बीचोबीच राजपथ पर
आवाज़ दो हम एक हैं . . .
डरेगा, डरता है आदमख़ोर ।