भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आदमी-2 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ककोहरा नें
ककोहरनी सें कहलकै
आदमी सभ्य कहलावै छै
रहै छै सभ्य के वस्ती में
मुदा असभ्य नाँखी करै छै व्यवहार
ओकरा सें कोनो कुकर्म बाँकी नै रहै छै
फिर भी आदमी कहलावै छै।